रविवार, 5 अक्तूबर 2008
फलहीन वृक्ष, संवेदन हीन लोग
पूरे बयालिस दिन बाद आपके सामने उपस्थित हो रहा हूं। इस बीच देश-विदेश के कई मित्र मेरी खोज-खबर लेने के लिए बेचैन रहे। उन्हें में धन्यवाद नहीं दे सकता। क्योंकि यह शब्द उनकी भावनाओं के कहीं इर्दिगिर्द नहीं ठहरता। ऐसा मेरा ख्याल ह।. भाई पीसी रामपुरिया, भाई अनुराग शर्मा,भाई पवन तिवारी, अपने तिवारी साहब आदि से मैं सिर्फ और सिर्फ क्षमा याचना कर सकता हूं। अब वे मुझे क्षमा करते हैं या नहीं यह उनकी मर्जी पर निर्भर करता है। अपना काम था अर्जी लगाना। सो लगा दी। हालांकि एक बात मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि यदि मैं इन लोगों से जुड़ा रहता तो शायद उस मानसिक यंत्रणा से बच जाता जो मैंने इन बयालिस दिनों में भोगी है।यह बात अलग है कि मेरे दूर रहने का कारण तकनीकी था । कल चार अक्टूबर तकनीकी रूप से लैस होते ही मैं सबसे पहले अपने इन भाइयों के ब्लाग पर घूमा। और सच कहूं. मेरे सारे तनाव दूर हो गए। दरअसल, मेरे तनाव का एक बड़ा कारण चंडीगढ़ का मिजाज है। मैं गवंई आदमी हूं। देश के बाकी शहर भी कभी गांव ही हुआ करते थे। इसलिए उनसे थोड़ी ऊंच-नीच के बाद निभ जाती थी। पर चंडीगढ़ तो शहर है। खालिस शहर। बसाया हुआ। फलहीन वृक्ष, संवेदन हीन लोग, बिंदास नारियां। यहां अपनापा कहां। जब यह शहर बसा था तो पूरा पंजाब एक था । लेकिन यहां न तो पंजाब की मस्ती है और न हरियाणा की अल्हड़ता, न ही हिमाचल की शीतलता। हालांकि मुझे अपनी किस्मत पर पूरा भरोसा है। मुझे ढेर सारे भले लोगों का प्यार हासिल है। इसलिए इस शहर में भी कई भले लोग होंगे। जिनके सीने में दिल धड़कता होगा। वे इस नाचीज पर अपना स्नेह उड़ेलेंगे।
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5 टिप्पणियां:
वापसी का स्वागत है. क्षमा की बात करके शर्मिन्दा क्यों करते हैं भाई साहब! चंडीगढ़ को मैंने काफी नज़दीकी से देखा है. आतंकवाद के चरम दिनों में मेरे लिए बहुत ख़ास लोग जान हथेली पर लेकर पंजाब और चंडीगढ़ में थें और मेरा भी वहाँ आना-जाना था. आपकी अगली पोस्ट का इंतज़ार रहेगा, धन्यवाद!
पंडित जी माफी तो पराये लोगो से मांगी जाती है ! अपनो से तो सिर्फ़ दादागिरी ही की जा सकती है ! तो माफी मांग कर हमको पराया मत कीजिये ! सच भाई , आपकी बड़ी याद आती रही ! आपके फोन न. भी नही मिले ! खैर अब आ गए हैं तो जल्दी मत गायब होना ! और ठीक है शहर में भी लोग आपको अपने जैसे मिल ही जायेंगे देर सबेरे ! चिता मत कीजिये नदी अपनी मंजिल
ढुन्ढ ही लेती है ! बहुत शुभकामनाए !
भाई साहब स्वागत है आपका ! आप को क्या कहे अब ? सारी कहानी आप ब्लॉग पर घूम कर जान ही चुके होंगे ?
बहुत शुभकामनाएं !
पंडित जी प्रणाम ! सबको याद किए हमका भुला गए आप तो ? ज़रा याद कीजिये भाई !
स्वागत आपका ! अब छोड़ कर मत जाइयेगा !
पंडित जी प्रणाम ! सबको याद किए हमका भुला गए आप तो ? ज़रा याद कीजिये भाई !
स्वागत आपका ! अब छोड़ कर मत जाइयेगा !
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