रविवार, 21 जून 2009
अपनों का दुःख
गंगादास जी की कार अपनी अपने दफ्तर के सामने रुकी ही थी कि बल्लू दादा की बोलेरो के ब्रेक चरमराए। गंगादास के दिल में गालियों की गंगा बहने लगी। साला वसूली करने आ गया। अभी चुनाव से पहले तो आधी पेटी लेकर गया था। लेकिन अपने दिल के भावों को बाहर नही आने दिया। चेहरे पर मुस्कराहट चिपकानी ही थी। सो चिपका ली। उनकी मुस्कराहट वैसी ही लग रही थी, जैसे उनका डिनर का आमंत्रण स्वीकार करते समय उनकी स्टेनो की होती है । बोले, बल्लू भाई चलो, भीतर बैठते हैं। और दोनों भीतर बने वातानुकूलित कमरे में चले गए। सोफे पर पसरते हुए बिल्लू दादा ने कहा, सेठ तुम अपन का आदमी है। तुम्हें मालुम है भाई इस बार चुनाव हार गए हैं। साला हम लोगों ने टिकट के लिए ही मादाम को पूरे सौ पेटी दिए थे। हालांकि मादाम की गलती नहीं, वह तो भाई को गरीबों का मसीहा भी बोल गई। पर भाई नही नहीं जीते। पूरे पांच सौ पेटी खर्च कर भी नहीं जीते। साला विधानसभा में दो सौ बूथ होते हैं। सत्तर-अस्सी कैपचर कर लेते थे। रही सही कसर बिरादरी वाले वोट देकर पूरी कर देते थे। पर लोकसभा मे कैपचरिंग हो नहीं पाई और बिरादरी वाले भी दगा दे गए। अब इस हाल में अपनों से ही मदद मांगी जा सकती है। भाई ने बोला है, ज्यादा नहीं आधी पेटी दे दो बस। बिल्लू के शब्द गंगा दास को यों लगे जैसे टायसन ने कलेजे पर घूसा जड़ दिया हो। बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला। आखिर उन्हे अकसर इस तरह की दुश्वारियों से दो-चार होना पड़ता था। थोड़ी दबी आवाज में बोले, बल्लू भाई देखो। भाई ने जो पिछला ठेका दिलवाया था, उसका पेमेंट अटक गया है। अखबार वालों ने हंगामा खड़ा कर दिया था कि हमने बाढ़-पीड़ितों को चावल सपलाई ही नहीं किया है,सारे कागजात फरजी लगाए है। अब जांच अधिकारी क्लीन चिट देने के आधी पेटी मांग रहा है। कहता है मार्च में मुख्यमंत्री जी का जनमदिन है। अभी से जोड़ रहा हूं, हमें भी नौकरी करनी है। गंगादास ने बल्लू के चेहरे पर कुछ इस तरह निगाह डाली, जैसे अपनी गुगली पर एलबीडब्लू की अपील कर रहे हों। लेकिन बल्लू ने उनकी अपील को बेरहमी से ठुकरा दिया, देखो सेठ यह भाई का हुक्म है। बाकी तुम जानो। गंगादास ने देखा कि गुगली कारगर नहीं रही तो सीधे लेगब्रेक फेंक दी। बल्लू दादा भाई तो भगवान हैं। राम हैं। आप उनके हनुमान हो। और हम हनुमान के भक्त हैं। कुछ तो सोचो। बल्लू ने सोचा, मक्खन इसी लिए महंगा हो गया है, लोग खाएं कहां से। सारा तो लगाने में खर्च हो जाता है। पर सेठ की बात अच्छी लगी। बल्लू बल्ले-बल्ले हो गए। बियर का आचमन कर मुंह में चिप्स रखते हुए बोले, सेठ चल तू पैंतीस दे दे। हालांकि ऐसा होगा नहीं पर खुदा न खास्ता कभी भाई पूछ ले तो कहना पचीस दिए थे। दस मै रख लूंगा। साला रेप वाले केस को सेटल करने के लिए अपोजीशन वाले लीडर को देना है। तू अपन का बड़ा भाई है। अपन सोचेगा तेरे बारे में। भाई को बोलेगा। कोई नया -काम दिलवाओ। देख भाई चुनाव भले हार गए हों, लेकिन अब हैं तो सत्तारूढ़ पार्टी में। अपन का, अपन के लोगों का जितना भी नुकसान हुआ है। सब वसूल कर लेंगे। चिंता मत करो, सब भरपाई हो जाएगी। हां उस जांच करने वाले अफसर को मै फोन कर दूंगा पचीस ले ले लेगा। गंगादास के चेहरे पर चमक आ गई। बल्लू को विदा करने बाहर निकल कर सड़क तक आए। ठीक है, दादा शाम को माल पहुंच जाएगा। बल्लू दादा की नीली झंडी लगी बोलेरो में बैठे आधा दर्जन बंदूकधारी छोकरे बियर की खाली बोतलें सीट के नीचे डाल अलर्ट हो चुके थे। गाड़ी के गेट खुले। बल्लू दादा अगली सीट पर विराजमान हुए और बोलेरो स्टार्ट हो गई।
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1 टिप्पणी:
बल्लू दादा भी चले गये..बस, अब भरपाई हो जाये तो काम बने. मस्त है.
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