30 जून के अंक में अमर उजाला के संपादकीय पृष्ठ पर स्तंभ ब्लाग कोना में अभिव्यिक्त को स्थान मिला है। इसमें जातियों के अभ्युदय को लेकर लिखे गए आलेख को प्रकाशित किया गया है। इसके लिए मैं अमर उजाला की संपादकीय टीम में कार्यरत अग्रजों-अनुजों का आभारी हूं।
नाचीज बेहद बदतमीज,बदतहजीब, बददिमाग,बदमिजाज,बदअक्ल,बदशक्ल, बेवफा,बेहया,बेगैरत,बेमुरौव्वत, बदजुबान,बदगुमान शख्स है। इस तरह के कोई और विशेषण बचे हों तो आप खुद भी जोड़ सकते हैं। नाचीज उसपर निश्चित रूप से खरा उतरेगा। बावजूद इसके सुल्तानपुर (अवध)से ताल्लुक रखने वाले इस हरियाणवी को भले लोग अच्छे लगते हैं। लेकिन यह बात भी ध्रुव सत्य है कि नाचीज़ ख़ुद भला आदमी नहीं है। पर न जाने क्यों नाचीज़ को बहुत सारे भले लोगों का प्यार हासिल है। है न ताज्जुब की बात। दो बच्चों के पालन पोषण का दायित्व निभा रहा, रोज़ी रोटी के लिए लफ्जों की तिजारत करने वाला यह शख्स ख़ुद को ख़बरनवीस कहता है और देश के सबसे बड़े मीडिया समूह दैनिक जागरण का मुलाजिम है। यह नाचीज शख्स किसी के भरोसे को कत्ल करना दुनिया का सबसे बड़ा अपराध मानता है। कोशिश करता है कि उससे यह अपकृत्य न हो।
5 टिप्पणियां:
आपको बहुत बहुत बधाई..अच्छी लेखनी को स्थान मिलता ही है..दिल में भी और जहां में भी....
बहुत बधाई जी पण्डितजी आपको.
रामराम.
आपको बहुत बहुत बधाई।
बधाई हो त्रिपाठी जी | वैसे आपका लेख किसी भे पत्र - पत्रिका मैं छपने के काबिल है |
बहुत बधाई, पंडितजी महाराज!
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