गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी आतंकी डेविड कोलमैन हेडली को आज धन्यवाद दे रहे होंगे। देना भी चाहिए। कभी जिस इशरत जहां को हथियार बना कर उन पर हमले किए जा रहे थे। उस इशरत जहां की हकीकत हेडली ने बयान कर दी है। बात आज के छह साल पहले की है। गुजरात में चार आतंकी मुठभेड़ में मारे गए थे। इनमें एक तरुणी थी। नाम था इशरत जहां। तब नरेंद्र मोदी के खिलाफ मुहिम छेड़े हुई कथित धर्म निरपेक्ष मीडिया ने उस मुठभेड़ पर सवाल उठाते हुए हल्ला मचा दिया था। हल्ला क्या मचा दिया था। बवाल कर दिया था। जिसे जहां मिला उसने वहीं लिख मारा।सारे इशरत जहां को निर्दोष और पढ़ने लिखने वाली छात्रा बता रहे थे। हालांकि गुजरात पुलिस ही नहीं केंद्रीय गुप्तचर एजेंसियों ने भी उसके आतंकी होने की पुष्टि की थी। लेकिन उससे क्या? अपनी बिरादरी को नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने का बहाना चाहिए था। जो उन्हें मिल गया था। दिलचस्प बात यह थी कि हल्ला मचाने वाले इशरत जहां की बात तो कर रहे थे। लेकिन उसके साथ मारे गए पाकिस्तानी आतंकियों को लेकर चुप थे। उनके बात इस बात का जवाब नहीं था कि इशरत अगर छात्रा थी तो उसकी दोस्ती उन पाकिस्तानी आतंकियों से कैसे हुई। क्यों हुई? बाद में जब जांच एजेंसियों ने इस बात के दस्तावेजी सुबूत दे दिए कि इशरत उन आतंकियों के साथ अयोध्या भी गई थी। उनका इरादा वहां भी विस्फोट करने का था तो भाई लोग चुप्पी साथ गए। अब देखते हैं भाई लोग क्या करते हैं? इशरत जहां के बारे में डेविड कोलमैन हेडली के नए खुलासे के बाद। क्योंकि हेडली ने खुलासा किया है कि इशरत जहां मानव बम थी। नाचीज जिस समूह में काम करता है, उसकी वेबसाइट पर यह खबर प्रकाशित हो चुकी है। आप खुद ही पढ़ लें।
इशरत जहां थी एक मानव बम
नई दिल्ली. लश्कर-ए-तैय्यबा से जुड़े अमेरिकी आंतकी डेविड हेडली ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के सामने खुलासा किया है कि गांधीनगर में पुलिस मुठभेड़ के दौरान मारी गई इशरत जहां लश्कर की मानव बम थी। सूत्रों ने बताया कि हेडली ने मुंबई की रहने वाली इशरत जहां के बारे में यह जानकारी एनआईए और कानून विभाग के अधिकारियों की चार सदस्यीय टीम को शिकागो में पूछताछ के दौरान दी। यह भी पता चला है कि हेडली ने भारत में लश्कर के लिए अपने आतंकी मिशन-2006 में शुरू किया था। इशरत जहां की मौत से खासा विवाद पैदा हुआ था।
पुख्ता हुई खुफिया सूचना
हेडली द्वारा दी गई यह सूचना गुजरात पुलिस और केंद्र की सूचना से मेल खाती है। इशरत के परिवार वालों के इस आरोप के बाद मुठभेड़ को लेकर बवाल मच गया था कि इशरत छात्रा थी। उसके परिवार वालों ने अदालत में इस संबंध में अपील भी दाखिल की थी। गुजरात पुलिस ने दावा किया था कि कुछ आतंकी राज्य के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमले के लिए राज्य गुजरात आए थे। इशरत, जावेद शेख उर्फ प्राणोश पिल्लै और दो पाकिस्तानी नागरिक अमजद अली और जीशान जौहर अब्दुल गनी 15 जून 2004 को मुठभेड़ में मारे गए थे। पुलिस रिकार्ड के मुताबिक इन सभी को अहमदाबाद शहर के बाहरी इलाके में नीले रंग की इंडिका कार में पकड़ा गया था। कार रोकने का संकेत करने पर उसमें बैठे लोगों ने पुलिस पर गोलियां चलानी शुरू कर दीं, जिसके बाद हुई जवाबी कार्रवाई में ये सभी मारे गए थे। इशरत की मां शमीमा कौसर ने गुजरात हाईकोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में दावा किया था कि उनकी बेटी इत्र के कारोबारी शेख के साथ सेल्सगर्ल के रूप में काम कर रही थी।
क्या है मामला
15 जून 2004 को गुजरात पुलिस ने इशरत जहां, जावेद शेख उर्फ प्राणोश पिल्लै और दो पाकिस्तानी जीशान जौहर अब्दुल गनी और अमजद अली को एक मुठभेड़ में मार गिराया। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक इन सभी को अहमदाबाद शहर के बाहरी इलाके में नीले रंग की इंडिका कार में पकड़ा गया था। कार रोकने का संकेत करने पर उसमें बैठे लोगों ने पुलिस पर गोलियां चलानी शुरू कर दी, जिसके बाद हुई जवाबी फायरिंग में ये सभी मारे गए।
फर्जी मुठभेड़ बताया
इशरत के परिवार वालों ने इस इनकाउंटर को फर्जी बताते हुए अदालत की शरण ली। इशरत की मां शमीमा कौसर ने गुजरात उच्च न्यायालय में दाखिल अपनी याचिका में दावा किया कि उनकी बेटी इत्र के कारोबी शेख के साथ सेल्स गर्ल के रूप में काम कर रही थी।
इनकाउंटर करने वाली टीम
इस इनकाउंटर की अगुवाई सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ कांड में आरोपी डीआईजी डीजी वंजारा ही कर रहे थे। पुलिस का कहना था कि ये लोग नरेंद्र सिंह मोदी को निशाना बनाने के लिए आए थे।
आतंक में हुस्न का मेल
हेडली के बयान से स्पष्ट हो रहा है कि आतंकी देश में अपने काम को अंजाम देने के लिए ‘हुस्न’ का सहारा ले रहे हैं।
&&बाबाबाबातबाबा
सोमवार, 5 जुलाई 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
7 टिप्पणियां:
शुक्रिया इस जानकारी के लिए.
"मासूमों" और "गुमराहों" पर कोई सवाल उठाना धर्मनिरपेक्षता के अमर सिद्धांतों के खिलाफ़ है… :) :)
सत्यमेव जयते, न धर्मनिरपेक्षः ।
अगला पीएम मोदी को बनाओ। ओम नमो।
शुक्रिया जानकारी के लिए...
वे मार दें तो भटके हुए हैं, मर जायें तो साज़िष हुई है।
हैडली ख़ुद एक ग़ुनहग़ार है..अब उसकी बातें कहां तक पाक़साफ है यह कह पाना शायद मुमकिन ना होगा..ईशरत जहां की कहानी की उजली हक़ीक़त स्याह अन्धेरों से निकलकर जब बाहर आयेगी तब ही यह कहा जा सकता है की उस दिन गुजरात पुलिस ने एक निर्दोष को ढेर किया था या अपराधी को...बहरहाल जगदीश त्रिपाठी जी आपको पहली दफा पढ़ा मैनें..महसूस हुआ की आपकी क़लम में बेबाक़ी बरक़रार है......
एक टिप्पणी भेजें