बुधवार, 25 फ़रवरी 2009

आस क्या वस्तु है.

पांव थकते नहीं आस क्या वस्तु है.
वो मिलेंगे ये विश्वास क्या वस्तु है.
शूल शय्या पे भी कष्ट मिलता नहीं
दर्द सहने का अभ्यास क्या वस्तु है
विष औ अमृत में कुछ भेद रखती नहीं
बावली हो गई प्यास क्या वस्तु है

8 टिप्‍पणियां:

आशीष कुमार 'अंशु' ने कहा…

sundar kavita.

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

विष औ अमृत में कुछ भेद रखती नहीं
बावली हो गई प्यास क्या वस्तु है

वाह पण्डित जी बहुत लाजवाब लिखा. बहुत दिनों के बाद आपके दर्शन हुये हैं. आशा करते हैं अब तो आपके दर्शन का शौभाग्य मिलता ही रहेगा.

और घर मे सबसे प्रणाम बच्चों को प्यार.

और हां आपके छंद पढे बहुत दिन हो गये.
रामराम.

अनिल कान्त ने कहा…

bhavon se bhari hui kavita ...waah

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

बहुत ही भावपूर्ण कविता.......अभार

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

preet ka ho gaya aabhaas, kya vastu hai.

bahut sunder rachna. badhai.

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

आपको परिवार सहित होली की घणी बधाई और रामराम.

kps gill ने कहा…

continue blog kholkar dekhta tha. wapsi par guru g kavi ke rup mein samne aaye. bahut aacha laga. kavita padhkar maja aa gaya guru g.

Smart Indian ने कहा…

बहुत सुंदर!