पांव थकते नहीं आस क्या वस्तु है.
वो मिलेंगे ये विश्वास क्या वस्तु है.
शूल शय्या पे भी कष्ट मिलता नहीं
दर्द सहने का अभ्यास क्या वस्तु है
विष औ अमृत में कुछ भेद रखती नहीं
बावली हो गई प्यास क्या वस्तु है
बुधवार, 25 फ़रवरी 2009
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8 टिप्पणियां:
sundar kavita.
विष औ अमृत में कुछ भेद रखती नहीं
बावली हो गई प्यास क्या वस्तु है
वाह पण्डित जी बहुत लाजवाब लिखा. बहुत दिनों के बाद आपके दर्शन हुये हैं. आशा करते हैं अब तो आपके दर्शन का शौभाग्य मिलता ही रहेगा.
और घर मे सबसे प्रणाम बच्चों को प्यार.
और हां आपके छंद पढे बहुत दिन हो गये.
रामराम.
bhavon se bhari hui kavita ...waah
बहुत ही भावपूर्ण कविता.......अभार
preet ka ho gaya aabhaas, kya vastu hai.
bahut sunder rachna. badhai.
आपको परिवार सहित होली की घणी बधाई और रामराम.
continue blog kholkar dekhta tha. wapsi par guru g kavi ke rup mein samne aaye. bahut aacha laga. kavita padhkar maja aa gaya guru g.
बहुत सुंदर!
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